दिंनाक: 11 Mar 2016 15:03:49 |
विगत दिनों 29 दिसम्बर 2015 को माननीय नितिन गड़करी जी जब जबलपुर प्रवास पर आये थे तथा हमारे निवास पर हमारे आग्रह पर माननीय संपादकों, वरिष्ठ पत्रकारों तथा पार्टी के जन प्रतिनिधियों एवं प्रमुख पदाधिकारियों से भेंट की थी। उनके इस आगमन के पूर्व जबलपुर की आवश्यकताओं के संबंध में माननीय गड़करी जी से मेरी जो विस्तृत चर्चा हुई थी उसका यह परिणाम हुआ था कि उन्होंने जबलपुर के लिए कई सौगातों की घोषणा उस समय की थी। जिसमें प्रमुख रूप से सबसे महत्वपूर्ण मांग जबलपुर में दमोहनाका से मदनमहल तक के बीच फ्लाई ओवर की रही जिसकी प्रतिक्षा जबलपुर वासी वर्षों से कर रहे थे। इसके साथ ही जबलपुर से बिलासपुर को राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में विकसित करने तथा एक छोटी रिंग रोड की मांग की स्वीकृति भी शामिल थी।
माननीय गड़करी जी द्वारा दी गयी इन सौगातों की घोषणा के बाद उन्होंने मेरे से एक मांगपत्र देने कहा था जो देने के बाद माननीय मंत्री जी द्वारा इस आशय की जानकारी दी गयी थी कि पत्र में उल्लेखित सभी घोषणाओं के अनुसार स्वीकृति के लिए अग्रिम कार्यवाही हेतु अग्रेषित कर दिया गया है जिसकी जानकारी भी मेरे द्वारा आप सभी को पूर्व में दी जा चुकी है। इसके पश्चात् जब मैंने पुनः भूतल परिवहन मंत्रालय के संबंधित अधिकारी कार्यपालन निदेशक (प्रोजेक्ट्स) से चर्चा कर अग्रिम कार्यवाही की जानकारी ली तो चर्चा में कुछ तकनीकी कठिनाइयां फ्लाई ओवर के निर्माण के संबंध में सामने आईं। चूंकि फ्लाई ओवर वर्तमान में जिस मार्ग पर होना है यह पूर्व का एन.एच.7 था और एन.एच. 7 पर बायपास का निर्माण हो जाने के उपरांत 5 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है अतः फ्लाई ओवर का निर्माण नेशनल हाइवे प्राधिकरण के अनुसार एन.एच. की "वन टाइम इन्वेस्टमेंट योजना" के अंतर्गत नहीं किया जा सकता।
इस तकनीकी कठिनाई के सामने आने के पश्चात मैंने पुनः माननीय नितिन गड़करी जी से भेंट की और उन्हें इससे अवगत कराया। कठिनाई का समाधान हो इस हेतु माननीय मंत्री जी के निर्देश पर भूतल परिवहन विभाग के कार्यपालक निदेशक, माननीय मंत्री जी के पी.एस. तथा अन्य अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा हुई। यह फ्लाई ओवर इस तकनीकी कठिनाई के कारण निरस्त न हो इस हेतु माननीय मंत्री जी के निर्देश पर निर्णय किया गया कि अब इसका निर्माण "सेंट्रल रिजर्व फण्ड" (सी.आर.एफ.) के माध्यम से किया जाये।
इस हेतु माननीय मंत्री महोदय ने नये सिरे से प्रक्रिया प्रारंभ करने हेतु मुझसे पुनः एक पत्र इस योजना के अंतर्गत निर्माण हेतु लिखने कहा है। चूंकि अभी तक फ्लाई ओवर के डिजाइन आदि को लेकर कोई भी प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हुई है, अतः यह निर्देश माननीय मंत्री जी द्वारा दिया गया है कि सी.आर.एफ. मद से स्वीकृति की औपचारिकताओं के पश्चात् फ्लाई ओवर के ड्राइंग डिजाइन का एक काम्बो (combo) तैयार किया जावे। और इनमें से व्यवहारिकता के आधार पर सबसे उपयुक्त ड्राइंग डिजाइन की डीपीआर तैयार कर उसे अंतिम स्वीकृति दी जाये। डीपीआर की अनुमति लेकर एस्टीमेट तैयार कर उसकी अंतरिम स्वीकृति दी जायेगी।
जबलपुर देश के भौगोलिक केंद्र में स्थित होने के कारण एक बड़े लाजिस्टिक सेंटर के रूप में विकसित हो सकता है ऐसा मेरा प्रारंभ से ही मानना रहा है और अब जब जबलपुर- गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना के कार्य ने भी गति पकड़ ली है और शीघ्र ही निकट भविष्य में इसका कार्य पूरा हो जायेगा तब जबलपुर से दक्षिण की दूरी लगभग 275 कि.मी कम हो जायेगी। इसके साथ ही अभी हाल ही में प्रस्तुत रेल बजट पर लोकसभा में चर्चा के दौरान मैंने अपने शुरूआती उद्बोधन में जिस बरवाडीह-चिरमिरी रेलवे लाइन के निर्माण की बात की है जिसमें की संभावना है आगामी 5-6 वर्षों में यह काम भी हो जायेगा ऐसी स्थिति में मुम्बई से कलकत्ता की दूरी भी 300-400 कि.मी. कम हो जायेगी और इस मार्ग पर भी जबलपुर एक प्रमुख स्टेशन होगा। ऐसी स्थिति में जबलपुर पूरे देश के केंद्र में होने से बड़े लॉजिस्टिक सेंटर के रूप में उभरेगा और लॉजिस्टिक हब जबलपुर की आवश्यकता होगा।
इस संदर्भ में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी से चर्चा हुई है जिसमें उनके समक्ष भविष्य की इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए जबलपुर में एक वृहत आउटर रिंग रोड और लॉजिस्टिक हब के निर्माण की बात की है जिसमें माननीय मंत्री जी ने इस बात पर स्वीकृति दी है कि यदि जमीन उपलब्ध होती है तो लॉजिस्टिक पार्क भी बनाया जा सकता है। इतना ही नहीं माननीय मंत्री जी ने इस हेतु पत्र भी मांगा है।
चर्चा में माननीय मंत्री जी को अवगत कराया गया कि जब छिन्दवाड़ा जैसे शहर में भविष्य की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए 53 कि.मी. का आउटर रिंग रोड बन सकता है तो जबलपुर जो कि संभागीय मुख्यालय होने के साथ-साथ महाकौशल का भी प्रमुख केंद्र है। इसलिए जबलपुर में अब छोटे रिंग रोड की कल्पना नहीं बल्कि एक बड़े आउटर रिंग रोड की स्थापना क्यों नहीं होना चाहिये। इसलिए पूर्व में माननीय केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी से जो छोटी रिंग रोड की चर्चा हुई थी, उसके स्थान पर बड़े रिंग रोड की स्वीकृति की जायेगी इसके लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा की जावेगी। अतः वर्तमान में जिस आउटर रिंग रोड की कल्पना मेरे द्वारा नेशनल हाइवे अथारिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ की गयी है वह मानेगांव व बरगी के मध्य से प्रारंभ होकर नेशनल हाइवे 12 की तरफ भिटौनी के पास से दमोह रोड पर कटंगी के पहले से पनागर-सिहोरा रोड पर लगभग गांधीग्राम के पास से नेशनल हाइवे क्रं.7 को क्रास कर कुण्डम रोड से होकर बरेला शारदा मंदिर के पीछे से गुजरते हुए नेशनल हाइवे 12 ए (मण्डला रोड) पार कर खालसा इंजीनियरिंग कालेज के पास से बरगी बेक वाटर के पहले से पुनः मानेगांव तक पहुंचेगी। इस पूरे आउटर रिंग रोड की लंबाई लगभग 70 कि.मी. होगी । यह भविष्य के जबलपुर का भी चित्र है जो जबलपुर को विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचायेगा।
जबलपुर से बिलासपुर नेशनल हाइवे घोषित करने हेतु मेरी मांग पर अपने इसी जबलपुर प्रवास में दी गयी सौगातों में माननीय नितिन गड़करी जी ने इसकी भी घोषणा कर दी थी। किन्तु बाद में यह ध्यान में आया कि जबलपुर से डिण्डौरी होकर बिलासपुर जाते समय तो यह मार्ग नेशनल हाइवे घोषित हो जायेंगे लेकिन मां नर्मदा का उद्गम क्षेत्र अमरकंटक जो करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है वह छूट जायेगा इसलिए इस पर मैंने माननीय गड़करी जी से अनुरोध किया कि जबलपुर से बिलासपुर मार्ग को नेशनल हाइवे घोषित करने के स्थान पर जबलपुर-डिण्डौरी-अमरकंटक-बिलासपुर मार्ग को नेशनल हाइवे घोषित करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें। प्रसन्नता की बात यह है कि माननीय गड़करी जी ने मेरे इस आग्रह को ही मानते हुए इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी है और अब यह जबलपुर-डिण्डौरी-अमरकंटक-बिलासपुर यह रूट राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में विकसित होगा।