दिंनाक: 04 Jul 2017 14:41:21 |
फेसबुक अपने लोगों से जुड़ने का एक बहुत ही अच्छा तथा सार्थक माध्यम है। आप जिनसे व्यक्तिगत रूप से नहीं मिल पाते, उनसे फेसबुक, ट्विटर तथा अन्य सोशल मीडिया के माध्यम से मुलाकात हो जाती है। हालचाल पता चल जाता है, कोई समस्या बांट सकते है, अपने विचार साझा कर सकते हैं। इसी फेसबुक के माध्यम से मेरे एक मित्र ने मुझसे दो अतिमहत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। यह दो विषय थे पर्यावरण तथा वृक्षारोपण।
यह दोनों ही विषय एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। साथ ही यह पूरे समाज से बहुत ही घनिष्ठ सम्बन्ध रखने वाला सवाल है। जब तक इसके प्रति लोगों में एक स्वाभाविक लगाव पैदा नहीं होता पर्यावरण संरक्षण एक दूर का सपना ही बना रहेगा।
वास्तव में आज पर्यावरण से सम्बद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि समस्या को जनमानस सहज रूप से समझ सके। प्रदूषण एक अभिशाप के रूप में सम्पूर्ण पर्यावरण को नष्ट करने के लिए हमारे सामने खड़ा है। सम्पूर्ण विश्व एक गम्भीर चुनौती के दौर से गुजर रहा है। ऐसी विषम परिस्थिति में समाज को उसके कर्त्तव्य तथा दायित्व का एहसास होना आवश्यक है। इस प्रकार समाज में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की जा सकती है।
हम लोग व्यक्तिगत तौर पर यदि कुछ बातों रखें तो हमारी यही छोटी छोटी कोशिशें पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान बन सकती हैं। उदाहरण के तौर पर हम सब बाहर जाते हैं कभी घुमने फिरने , सैर सपाटे पर या कभी प्रवास - यात्रा पर। इस दौरान हम प्यास लगने पर पानी की बोतल लेते हैं और पानी पी लेने पर खली बोतल फेंक देते हैं।
हमारे द्वारा जल ग्रहण करने के पश्चात वह प्लास्टिक की बोतल हमारे ही प्रदेश या देश के पर्यावरण में कहीं न कहीं फेंक या जला दी जाती है। रिसाइकलिंग के संस्कार अभी हमारे समाज में सभी जगह स्थापित नहीं हुए हैं। जाहिर है हमारी प्रत्येक पानी की बोतल इस राष्ट्र के पर्यावरण, यहाँ की मिट्टी, वायु, जल, स्वच्छता आदि को बर्बाद करती है। हो सके तो हम घर से निकलते वक्त पानी साथ रख लें। यदि आवश्यकता हो तो किसी अच्छे ब्रांड की (मानकों पर आधारित हानि न पहुँचाने वाली प्लास्टिक या स्टील आदि की बोतल आप जहाँ भी जाएँ साथ लेकर चलें। आजकल ज्यादातर स्टेशन और एयरपोर्ट आदि स्थानों पर RO Water Filter लगना शुरू हो गए हैं जहाँ से हम अपनी पानी की बोतल भरवा सकते हैं। यात्रा - प्रवास के दौरान संभव हो तो स्वयं ही सार्वजनिक जगहों जैसे रेलवे प्लेटफार्म / एयरपोर्ट आदि जगहों से जल स्वयं भरें और उसे पीने के लिये इस्तेमाल करें।
हम लोग जब अपने व्यक्तिगत व्यवहार से लोगों के समक्ष ऐसे आदर्श स्थापित करेंगे तो इससे न केवल दूसरों को ऐसा करने की प्रेरणा मिलेगी बल्कि हमारी अनोखी और सुन्दर छवि लोगों के ह्रदय में हमेशा के लिये जगह बना लेगी।
इसी तरह एक और अच्छा काम कर के हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं और वह है वृक्षारोपण। पर्यावरण की इस गंभीर समस्या का सामना करने के लिए वृक्षारोपण के अभियान को भी युद्ध-स्तर पर चलाने की आवश्यकता है।
एक दिन में 6 करोड़ पौधे लगाकर मध्यप्रदेश ने कीर्तिमान स्थापित किया है। माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में यह महाभियान सफल हुआ है । यह पर्यावरण में सुधार के साथ मानवता के लिये बहुत बडा कदम है।
वृक्ष न केवल धरती को उपजाऊ बनाते हैं बल्कि हमारे जीवन में भी चैतन्यता उत्पन्न करते हैं। प्राचीन काल से ही मानव और प्रकृति का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है । भारतीय संस्कृति में पर्यावरण के अनेक घटकों जैसे वृक्षों को पूज्य मानकर उन्हें पूजा जाता है। पीपल के वृक्ष को पवित्र माना जाता है। वट के वृक्ष की भी पूजा होती है।
आइये हम सब प्रण करे और अपनी अपनी क्षमता अनुसार पर्यावरण के संरक्षण में अपना योगदान दें। प्रदुषण न फैलायें, पेड़ लगायें। हम सब इन 2 सुझावों पर अमल करने का प्रयास करें और दूसरों को भी अच्छे संस्कारों को ग्रहण करने की प्रेरणा प्रदान करें।