महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि घनिष्ठा नक्षत्र में मनाई जाएगी

दिंनाक: 07 Mar 2016 12:39:37


फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान शिव का वरदान प्राप्त है और यह तिथि भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्री की रात देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ का विवाह हुआ था इसलिए यह शिवरात्रि वर्ष भर की शिवरात्रियों में सबसे उत्तम है।
इस साल की महाशिवरात्रि अद्भुत संयोग लेकर आयी है। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 7 मार्च, सोमवार को मनाया जा रहा है। 12 वर्ष बाद इस तरह का संयोग निर्मित हुआ है जब शिवरात्रि सोमवार को पड़ी है। सोमवार का दिन महादेव की आराधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए यह तिथि अपने आप में श्रेष्ठ है। महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की तिथि घनिष्ठा नक्षत्र में मनाई जाएगी।
इस वर्ष महाशिवरात्रि का महत्व कई गुना अधिक है। यह भी एक संयोग है कि इसे सिंहस्थ कुंभ का योग भी मिल रहा है। सालों बाद सिंहस्थ का योग निर्मित हुआ है। देव गुरु बृहस्पति, सिंह राशि में गोचर करेंगे। इस प्रकार से यह तिथि धार्मिक कार्यों की दृष्टि से खास है। इस दौरान महाशिवरात्रि की पूजा करने से भगवान प्रसन्न होंगे। साथ ही अपने भक्तों पर विशेष कृपा करेंगे।
महाशिवरात्रि का पर्व दिन भर पूजन के साथ ही रात भर महादेव की भक्ति करने का होता है। महाशिवरात्रि का अर्थ ही होता है रात्रि में जागरण कर शिव की आराधना करना। महाशिवरात्रि की तिथि को रात में भजन-कीर्तन, शिव नाम जाप करने से भक्तों के कष्टों का अंत होगा। सोमवार को महाशिवरात्रि पड़ने से जिन राशि के जातकों की कुंडली में चंद्र देव की स्थिति कमजोर है वे जातक रात में दुग्ध से चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करते हुए आराधना कर इस दोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
महाशिवरात्रि के विषय में मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है। इस दिन शिव जी की उपासना और पूजा करने से शिव जी जल्दी प्रसन्न होते हैं। शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव का रूद्र रूप प्रकट हुआ था।