दिंनाक: 08 Mar 2016 10:00:33 |
“ नारी तुम केवल श्रद्धा हो, विश्वास रजत नग पग तल में।
पीयूष स्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में।। “
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष '8 मार्च' को विश्वभर में मनाया जाता है। इस दिन सम्पूर्ण विश्व की महिलाएँ देश, जात-पात, भाषा, राजनीतिक, सांस्कृतिक भेदभाव से परे एकजुट होकर इस दिन को मनाती हैं। महिला दिवस पर स्त्री की प्रेम, स्नेह व मातृत्व के साथ ही शक्तिसंपन्न स्त्री की मूर्ति सामने आती है। इक्कीसवीं सदी की स्त्री ने स्वयं की शक्ति को पहचान लिया है और काफ़ी हद तक अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीख लिया है। आज के समय में स्त्रियों ने सिद्ध किया है कि वे एक-दूसरे की दुश्मन नहीं, सहयोगी हैं।महिलाओं को सशक्त करने का अर्थ है 'इंसानियत को बुलंद करना'।
नारी को आरक्षण की ज़रूरत नहीं है। उन्हें उचित सुविधाओं की आवश्यकता है, उनकी प्रतिभाओं और महत्त्वकांक्षाओं के सम्मान की और सबसे बढ़ कर तो ये है कि समाज में नारी ही नारी को सम्मान देने लगे तो ये समस्या काफ़ी हद तक कम हो सकती है। महिला अपनी शक्ति को पहचाने और पुरुषों की झूठी प्रशंसा से बचे और सोच बदले कि वे पुरुष प्रधान समाज की नहीं बल्कि शक्ति प्रधान समाज का अंग है और शक्ति प्राप्त करना ही उनका लक्ष्य है और वो केवल एक दिन की सहानुभूति नहीं अपितु हर दिन अपना हक एवं सम्मान चाहती है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देश की सभी संघर्षरत महिलाओं से आह्वान करती है कि आपका भविष्य समाजवाद में है, वर्तमान व्यवस्था के विकल्प के लिये संघर्ष में है। सिर्फ़ वही समाज जो परजीवियों व शोषकों के दबदबे से मुक्त है, वही महिलाओं को समानता, इज्ज़त, सुरक्षा व खुशहाली का जीवन दिला सकती है। पर ऐसी व्यवस्था की रचना तभी हो पायेगी जब महिलायें, जो समाज का आधा हिस्सा हैं, खुद एकजुट होकर इसके लिये संघर्ष में आगे आयेंगी। जैसे-जैसे महिलायें अपने उद्धार के लिये संघर्ष को और तेज़ करेंगी, अधिक से अधिक संख्या में इस संघर्ष में जुड़ने के लिये आगे आयेंगी, वैसे-वैसे वह दिन नज़दीक आता जायेगा जब अपने व अपने परिजनों के लिये बेहतर जीवन सुनिश्चित करने का महिलाओं का सपना साकार होगा।