जबलपुर के रजनीश अग्रवाल ने फ्रांस में हुए अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स-2016 में सिल्वर मेडल जीता

दिंनाक: 01 Apr 2016 10:50:05


जबलपुर के रजनीश अग्रवाल ने फ्रांस में हुए अंतरराष्ट्रीय एबिलंपिक्स-2016 में सिल्वर मेडल जीतकर शहर और प्रदेश का मान बढ़ाया है, इस उपलब्धि पर रजनीश को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई।

क्रिएटिव वेब पेज डिजाइन कर उन्होंने 16 देशों के प्रतिभागियों को मात दी। 42 साल के रजनीश अग्रवाल ने 22 से 27 मार्च तक फ्रांस के बोंढू शहर में आयोजित एबिलंपिक्स के लिए 5 साल तक तैयारी की। इंटरनेट और अपने इंजीनियर्स फ्रैंड्स की हेल्प से वेब पेज डिजाइन करने के लिए लेटेस्ट तकनीकी को अपनाया और एक ऐसा एब्स्ट्रैक्ट तैयार किया कि वो किसी से भी पीछे न रह जाएं। कम संसाधनों के बीच चीन और मलेशिया जैसे देशों को पीछे छोड़ विश्वभर में दूसरे स्थान पर और देश में पहले स्थान पर जगह बना ली। इस उपलब्धि से रजनीश आज अन्य दिव्यांगों के लिए प्रेरणा के रूप में सामने आए हैं।

12 वर्षों से लगातार किया प्रयास- इससे पहले भी रजनीश ने 2007 में जापान एबिलंपिक्स में हिस्सा लिया। जहां इन्हें रोबोट ऑपरेट करने का टास्क मिला। रोबोट से ड्राइंग करने का यह टास्क इन्होंने पूरा तो किया, लेकिन बेहतर नहीं किया। 2011 में साउथ कोरिया एबिलंपिक्स में वेब पेज डिजाइन में इन्हें कोई स्थान तो नहीं मिला, लेकिन स्पेशल प्राइज सर्टिफिकेट हासिल हुआ। इसके बाद 2016 में इन्हें सिल्वर मेडल हासिल हुआ है।

हर 4 साल में स्पेशली डिस्एबल्ड के लिए एबिलंपिक स्किल बेस्ड प्रतियोगिता है। 2 बार टूर्नामेंट में कोई स्थान नहीं मिला। वे बताते हैं कि कंप्यूटर में हमेशा से इंटरेस्ट था। जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच से इंजीनियरिंग की और खुद का कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर खोला। वेब पेज डिजाइन की डिमांड को समझते हुए सीएस से एमटेक किया।

2016 के एबिलंपिक्स में जाने के लिए 5 साल तक वेब पेज डिजाइन की तैयारी की। अपने इंजीनियर फ्रैंड्स से टेक्नोलॉजी से अपडेट लेते रहे और इंटरनेट की मदद से अपना एक एब्स्ट्रैक्ट तैयार किया। जब कॉम्पीटिशन में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का यूज कर वेब पेज डिजाइन का टास्क दिया गया। तब सिलेक्ट डिजाइन को तैयार करने में अपना एब्स्टैक्ट और आइडिया को इंप्लीमेंट किया।

2020 के एबिलंपिक्स में रजनीश अग्रवाल हिस्सा नहीं लेंगे, बल्कि अन्य दिव्यांगों को इस टूर्नामेंट के लिए तैयार करेंगे। इस टूर्नामेंट की 10-16 विधाओं को टारगेट कर शहर के दिव्यांगों को प्रोत्साहित करेंगे और उनकी मदद करेंगे।