कचरे से बिजली बनाने वाला प्रदेश का पहला प्लांट शहर में मई से शुरू होगा

दिंनाक: 11 Apr 2016 11:28:20


कचरे से बिजली बनाने वाला प्रदेश का पहला प्लांट शहर में मई से शुरू हो जाएगा। कठौंदा में लग रहा प्लांट बनकर तैयार हो गया है। प्लांट लगाने वाली कंपनी ने इसके अलग-अलग हिस्सों का ट्रायल शुरू कर दिया है। 10 मई से बिजली बनना शुरू हो जाएगी। प्लांट से 11.4 मेगावॉट बिजली पैदा होगी जो शहर में प्रतिदिन खर्च होने वाली बिजली एक तिहाई हिस्सा होगी। कंपनी यह बिजली मध्यप्रदेश बिजली बोर्ड को 6 रुपए 39 पैसा प्रतियूनिट के हिसाब से बेचेगी। इस प्लांट को पीपीपी मोड पर एस्सल ग्रुप ने करीब 180 करोड़ की लागत से लगाया है।

कठौंदा में लगने वाला यह देश का पहला प्लांट है जहां ऐसी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है जिसमें कचरा को अलग-अलग नहीं छांटना पड़ेगा। शहर से जैसा कचरा निकलेगा वह सीधे प्लांट में जाएगा।

कठौंदा में बने बिजली प्लांट में एस्सल ग्रप ने जापान की हितैची कंपनी की टेक्नॉलाजी का उपयोग किया है। यह टेक्नॉलाजी न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे एशिया में पहली बार उपयोग की जा रही है।

प्लांट का उद्घाटन करने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जबलपुर आ सकते हैं। इसको लेकर पीएमओ कार्यालय से महापौर के पास फोन भी पहुंच चुका है। जिसमें मुख्यमंत्री के साथ चर्चा कर दो-तीन तारीख तय करने कहा गया था।

शहर का पूरा कचरा पिछले चार साल से कठौंदा में डंप हो रहा है। इस हिसाब से अब तक करीब 6 लाख टन कचरा कठौंदा डंपिंग स्टेशन में स्टॉक हो चुका है। इस स्टॉक से 3 साल बिजली पैदा हो सकती है।

एस्सल कंपनी 20 साल तक प्लांट का संचालन और संधारण करेगी इसके बाद नगर निगम को सौंपा जाएगा। इस दौरान कंपनी नगर निगम को कचरा का प्रतिटन 21 रुपए के हिसाब से भुगतान करेगी। प्लांट लगाने 10 एकड़ जमीन नगर निगम ने दी है।

बिजली प्लांट लगभग बनकर तैयार है। 10 मई से ट्रायल शुरू हो जाएगी।