दिंनाक: 13 Apr 2016 14:15:14 |
भारत के इतिहास में जालियांवाला बाग एक ऐसी घटना का शिकार बना जिसे इतिहास में काला दिन दर्ज किया गया। इस घटना को याद करके लोग आज भी सहम उठते हैं।
13 अप्रैल, 1919 का दिन किसी भारतीय के लिए न भूलने वाला दिन है. इस दिन जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना की टुकड़ी ने निहत्थे भारतीय प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर बड़ी संख्या में नरसंहार किया था. इस बाग में एकजुट होकर भारतीय प्रदर्शनकारी रोलट एक्ट का विरोध कर रहे थे।
रविवार का दिन था, उस दिन सारे देश में बैशाखी की खुशियां मनाईं जा रहीं थीं। बाग में आसपास के कई किसान और सिखधर्मी इक्कठा हुए थे। यह एक साधारण सा बाग हुआ करता था जो चारों ओर से घिरा हुआ था। अंदर आने के लिए केवल एक सकरा सा रास्ता ही था।
कहा जाता है कि, करीब शाम 4 बजे का वक्त था, जनरल डायर को जैसे ही इसकी जानकारी मिली वह सेना के साथ पहुंचा, उसने अपने सिपाहियों को बाग के एकमात्र तंग प्रवेश मार्ग पर तैनात कर दिया। डायर ने बिना किसी चेतावनी के सैनिकों को गोलियां चलाने का आदेश दे दिया। फिर क्या था चारों ओर चीखें सुनाई देने लगी। डरे-सहमे हुए निहत्थे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग हजारों गोलियों के शिकार बनना शुरु हो गये। कुछ लोग तो गोलियों से मारे गए तो कुछ भगदड़ में मारे गए। कुछ लोग जान बजाने के लिए पार्क में बने कुंए में कूद गए। इस घटना में हजारों निर्दोष मारे थे।
जलियांवाला बाग के अमर शहीदों को नमन।