'स्टैंड अप इंडिया' में झलका अपने पैरों खड़े होने का गर्व

दिंनाक: 18 Apr 2016 10:15:18


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस के दिन लाल किले के प्राचीर से दो उद्घोषणाएं की थीं - 'स्टार्ट अप इंडिया' और 'स्टैंड अप इंडिया'। इन दोनों योजनाओं के अंतर्गत भारत के उद्यम कार्यक्रम और दलित, जनजातीय व समाज के अन्य पिछड़े वर्ग के महिलाओं तथा पुरुषों के आर्थिक विकास में अभूतपूर्व परिवर्तन लाए जाने का लक्ष्य था। इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने 5 अप्रैल को नोएडा के गौतम बुद्घ नगर में 'स्टैंड अप इंडिया' योजना की शुरुआत की।

इस शुरुआत का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह रहा कि प्रधानमंत्री ने अनुसूचित जाति/जनजाति एवं आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के तमाम स्त्री-पुरुषों, छोटे उद्यमियों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरने के लिए कांग्रेस के दलित नेता दिवंगत बाबू जगजीवन राम की जन्मतिथि का चुनाव किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ''आज समता दिवस है। यह दिन हमारे देश के सबसे महान दलित नेताओं में से एक बाबू जगजीवन राम की जन्मतिथि है। स्टैंड अप इंडिया की शुरुआत के साथ हम उनके संघषार्ें एवं योगदान के प्रति श्रद्घांजलि व्यक्त कर रहे हैं। यह योजना दलित एवं जनजातीय युवाओं को आत्मनिर्भर बनाएगी और वे नौकरी प्राप्त करने की बजाय रोजगार प्रदान करने वाले की भूमिका में आ सकेंगे। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष देश में 2.5 लाख छोटे उद्योग शुरू किए जा सकते हैं और कोई भी उद्यमी योजना के तहत 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का कर्ज ले सकता है।''

योजना की शुरुआत के स्थान पर बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद थीं और उनका उत्साह देखते ही बनता था। उनमें से कई ने आत्मनिर्भर होने की दिशा में अपने उद्यम में पहला कदम बढ़ाया था। जिन महिलाओं को ई-रिक्शा वितरित किए गए, वे इस अवसर पर बेहद उत्साहित थीं।

ई-रिक्शा प्राप्त करने वाली एक महिला हसीना कहती हैं, ''यह मेरे परिवार और मेरे लिए बड़े फख्र का दिन है। अब से मैं यह ई-रिक्शा चलाकर अपने घर के छह जनों का पेट पाल सकूंगी। हमें ड्राइविंग, रख-रखाव, गाड़ी मरम्मत और बैंकों से कामकाज करना सिखाया गया है। इससे मुझे अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने का मौका मिलेगा और मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे पढ़-लिखकर जिंदगी में आगे बढ़ें।''

इस योजना की शुरुआत में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं समाज के पिछड़े वर्ग की महिलाओं की मदद करने के अलावा प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत 5100 ई-रिक्शाओं के वितरण की भी घोषणा की।

आयोजन के दौरान मौजूद ई-रिक्शा मालिकों ने बतौर साइकिल रिक्शा चालक अपने संघषार्ें को भी साझा किया। उन्होंने कम आय, ग्राहकों की कमी और वित्तीय मदद के अभाव के बारे में बताया।

निश्चित जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने और उनके सशक्तिकरण को इस आयोजन के दौरान बेहद अनोखे तरीके से शुरू किया गया। सरकार द्वारा अन्य प्रायोजित कार्यक्रमों से अलग, प्रधानमंत्री मोदी आयोजन स्थल पर पहुंचे और वहां विशेष तौर पर बनाए गए 'बबलू भैया टी स्टॉल' पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक, वित्त मंत्री अरुण जेटली, संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा एवं अन्य के साथ 'चाय पर चर्चा' में शिरकत की। इसका आयोजन प्रधानमंत्री एवं दिहाड़ी मजदूरों से ई-रिक्शा मालिक बने उद्यमियों के बीच अनौपचारिक बातचीत के तौर पर भी किया गया था।

'कुल्हड़' में चाय पीने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वहां मौजूद महिलाओं और पुरुषों से कहा कि वे अपने बच्चों को शिक्षा जरूर दिलाएं। उन्होंने कहा कि लड़कियों को विशेष तौर पर शिक्षा मिलनी चाहिए। 'चाय की दुकान' पर 20 मिनट बिताकर प्रधानमंत्री ने मोबाइल फोन एप से ई-रिक्शा मंगवाई और उसमें बैठकर मंच तक पहुंचे। मोबाइल फोन एप के जरिये ई-रिक्शा बुलाने की यह नई शुरुआत रही, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने ई-पेमेंट के जरिये भुगतान भी किया। हालांकि, इस दौरान प्रधानमंत्री की ई-रिक्शा चालक विजय पांडे थे, जो भारतीय माइक्रो क्रेडिट (बीएमसी) के कार्यकारी निदेशक हैं।

साइकिल रिक्शा चालकों को ई-रिक्शा मालिकों के तौर पर नई शुरुआत में मदद करने का काम बीएमसी कर रहा है। बीएमसी एक लघु ऋण संस्था है। इसके सहयोग से रिक्शा चालकों की आय में भी अभूतपूर्व परिवर्तन आ रहा है। इन सभी सुविधाओं के लिए प्रधानमंत्री की मुद्रा योजना से पूर्ण सहयोग प्राप्त किया जा रहा है।

हाल में जन धन योजना को मिली सफलता के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, ''एक ओर ऐसे लोग हैं जो देश का पैसा चुराकर यहां से भाग रहे हैं तो दूसरी ओर निर्धन लोगों ने पहली बार अपने सुविधा खाते खोले हैं जिनकी मदद से बैंकों को 35,000 करोड़ रुपये मिले हैं। हमारा लक्ष्य निर्धन वर्ग को आर्थिक तौर पर ऊपर लाना है।''

निर्धन वर्ग को बैंकिंग क्षेत्र के साथ जोड़ने के लिए राजग सरकार को मिली सफलता के बारे में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ''प्रधानमंत्री ने हमें 1.22 लाख करोड़ रुपये के छोटे ऋण देने का लक्ष्य दिया था और हमने मुद्रा योजना के जरिये 3.32 लाख करोड़ रुपये के ऋण दिए हैं। इस नई योजना से लाभ प्राप्त करने वाली 70 प्रतिशत महिलाएं होंगी। हमारे सामने चुनौती है कि अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिला उद्यमियों की इस अभियान के जरिये मदद कर सकें। हम चाहते हैं कि लोग सूदखोरों के चंगुल से मुक्त हों।''

स्टैंड अप इंडिया योजना

• 'स्टैंड अप इंडिया योजना की शुरुआत अनुसूचित जाति/जनजाति एवं महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए की गई है। उन्हें इसके लिए 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का कर्ज मिल सकता है।

• प्रत्येक बैंक की शाखा (सूचित व्यावसायिक बैंक) को लक्ष्य दिया गया है कि वह अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के एक व्यक्ति एवं एक महिला को उद्यम हेतु ऋण दे। बैंकों की 1.25 लाख शाखाओं को इस कार्य के लिए तैयार किया गया है।

• एक वर्ष के भीतर 2.5 लाख लोगों को छोटे उद्यमियों के तौर पर पहचान बनाने के लिए ऋण प्राप्त होंगे; नतीजतन एक वर्ष में 2.5 लाख नए उद्यम शुरू हो सकेंगे।

• 10 लाख रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक के मिश्रित ऋण में नए उद्यम शुरू करने से जुड़ी कार्यकारी पूंजी शामिल होगी।

• कार्यकारी पूंजी को निकालने के लिए डेबिट कार्ड (रुपे) का इस्तेमाल किया जाएगा।

• ऋण प्राप्तकर्ताओं की पृष्ठभूमि भी तैयार की जाएगी।

• ऋण जमानत के लिए 5,000 करोड़ रूपए की राशि सुरक्षित रखी गई है।

• स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) के जरिये 10,000 करोड़ रुपये की शुरुआती राशि से रीफाइनेंस सुविधा भी रखी गई है।

• ऋण प्राप्त करने वालों के लिए ऋण पूर्व की प्रशिक्षण जरूरतों, ऋ़ण प्राप्ति सहजता, लेनदारी, मार्केटिंग आदि की सुविधाएं भी रखी गई हैं।

• ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन एवं सहयोग सेवाओं के लिए वेब पोर्टल सुविधा भी है।