1 करोड़ भारतीयों ने ‘अंत्योदय’ की भावना के तहत रखा प्रधानमंत्री का मान; गैस सब्सिडि का किया परित्याग

दिंनाक: 23 Apr 2016 11:12:36


समाज के सबसे निचले तबके तक सरकारी योजनाओं के लाभ को पहुंचाने के उद्देश्य यानि ‘अंत्योदय’ के सपने को आज खुद देश की ही जनता ने साकार करने की कोशिश की जब करीब एक करोड़ देश वासियों ने एलपीजी गैस से मिल रही सब्सिडि को त्याग कर अपना फर्ज निभाया और अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह का मान रखा।

लगभग एक वर्ष पूर्व सहज रूप से सब्सिडि त्यागने की बात जनता से करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘गिव इट अप’ मुहिम की शुरुआत की थी और समस्त सम्पन्न परिवारों से आग्रह किया था कि ‘यदि हो सके’ तो सिलिन्डर पर मिलने वाले सब्सिडि का परित्याग करना ताकि इस सब्सिडि से बची हुई राशि का प्रयोग गावों-शहरों के उन गरीब परिवारों तक पहुंचाई जा सके जिनके रसोई में आज भी माताएँ-बहनें चूल्हे की प्रदूषण भरी तपन को सहकार दो वक्त की रोटी तैयार करती हैं।

आज से कुछ महीनों पहले तो इसी बात पर बहस हुआ करती थी कि आखिर कैसे सम्पन्न परिवारों को सब्सिडि का लाभ उठाने से रोका जाये क्योंकि इसमें राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव तो था ही साथ ही कई तकनीकी दिक्कतें भी थीं लेकिन आज देखते ही देखते यह मुहिम एक जनचेतना का अभियान बन गया और नतीजा यह है कि अब एक करोड़ ग्राहकों ने गैस सब्सिडि त्याग दी है।

वाकई में यह देश की जनता की अपने भाई-बंधुओं के प्रति जिम्मेवारी के एहसास को ही दर्शाता है। सरकार ने न कोई जबर्दस्ती की और न ही कोई बवाल हुआ। हुआ तो सिर्फ कमाल हुआ।

घरेलू एलपीजी पर सरकार भारी सब्सिडि वहन करती है जिसके कारण एक ग्राहक पर साल भर में काफी खर्चा सरकार अपनी ओर से इथाती है। ऐसे में जरूरी है तो ‘टार्गेटेड सब्सिडि’ की यानि जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने की।

एक 14.2 किलो वाला सब्सिडि युक्त सिलिंडर जहां 420-460 रु के आसपास आता है वहीं 5-5 किलो वाला सिलिंडर 155 रु में आता है। वैसे बाजार भाव 14 किलो वाला सिलिंडर 509-530 रु पड़ता है। अब इतने लोगों द्वारा सब्सिडि त्यागने से सरकार के 30,000 करोड़ रु बचेंगे जिसका इस्तेमाल सरकार आने वाले दिनों में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे 5 करोड़ परिवारों को गैस कनैक्शन देकर करेगी। फिलहाल देश में 15 करोड़ से अधिक लोगों के पास गैस कनैक्शन है।