दिंनाक: 28 Oct 2016 12:33:32 |
जबलपुर गोंदिया ब्रॉडगेज परियोजना का प्रथम चरण पूर्ण होने पर सुकरी-मंगेला तक रेल लाइन का लोकार्पण एवं मदन महल टर्मिनल स्टेशन के भूमिपूजन के साथ जबलपुर स्टेशन में मल्टीफंक्शनल कॉम्प्लेक्स, स्टेशन में फ्री वाइ-फाइ सुविधा एवं वाटर वेंडिग मशीन का शुभारंभ करने देश के रेलमंत्री श्री Suresh Prabhu एवं मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chouhan जी का मेरे आग्रह पर जबलपुर आगमन हुआ। डुमना विमानतल पर रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के आगमन पर मेरे साथ सभी जनप्रतिनिधियों ने अगवानी कर भव्य स्वागत किया।
हम सभी जानते हैं कि रेल को देश की लाइफ माना जाता हैं रेल न सिर्फ आवागमन का साधन उपलब्ध कराती है बल्कि उसके साथ-साथ भाषा संस्कृति और क्षेत्रों को जोड़ने का काम भी करती है और साथ ही रेल विकास का संवाहक भी है। रेल विकास का संवाहक बने उसके लिये आवश्यक है कि देश में नरेन्द्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री हो, देश में सुरेश प्रभु जैसे विजनरी रेलमंत्री हो और मध्यप्रदेश जैसे किसी भी राज्य में शिवराज सिंह चौहान जैसे संवेदनशील मुख्यमंत्री हो तो विकास की गति तीव्र हो जाती है क्योकि अगर तंत्र है और सक्षम नेतृत्व नहीं तथा नेतृत्व है और विजन नहीं तथा ये दोनों चीजें है और उसके साथ में काम को पूरा करने के लिये प्रदेश में इच्छाशक्ति नहीं तो फिर आज जो कार्यक्रम आयोजित है तथा मध्यप्रदेश में जो दो बड़े कार्यक्रम होने जा रहे हैं उनकी संकल्पना भी नहीं की जा सकती।
मैं रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु जी को बधाई देना चाहूँगा कि जिन्होने रेल मंत्री बनने के साथ ही सारी अवधारणाएं बदल दीं। देश का रेलवे जिसकी विकास की गति किसी पैंसेजर ट्रेन के समान थी इतने अल्प समय में उसे सुपर फास्ट ट्रेन की भांति दौड़ा दिया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी माननीय मुख्यमंत्री जी भी बधाई के पात्र हैं कि पिछले लंबे समय से केन्द्र में योजनाओं के पिछड़ने के बाद यदि हम घुटनों के बल नहीं आ पाये उसके पीछे सबसे बड़ा कारण रहा है कि मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के अनेक विकास की योजनाओं की सौगातों के कारण जबलपुर की जनता के ह्रदय में न केवल स्थान बनाया बल्कि जबलपुर को विकास की दृष्टि से कभी पीछे भी नहीं होने दिया ये जो बॉडगेज परियोजना है बहुत लंबे समय से इसकी मांग रही है 40 साल पुरानी इस मांग को श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी जब प्रधानमंत्री बने तो इसे पूरा करने का कार्य किया और आधारशिला भी उन्होंने ही रखी लेकिन दुर्भाग्य से ये परियोजना लगातार पिछड़ती चली गई । आरंभिक रूप से ये 511 करोड़ रूपये की परियोजना थी वह अब बढ़कर 1100-1200 करोड़ के पास पहुँच गयी। एवं इसे पूरा करने के लिये कभी 10 या 20 करोड़ ही मिलने लगे थे और इस कारण की वजह से मुझे जबलपुर की जनता के साथ सड़कों पर आना पड़ा। एक के बाद एक अनेकों आंदोलन करना पड़े पद यात्रा करनी पड़ी और यह सब होने के बाद ही जबलपुर रेल के नक्शे में एक प्रमुख स्थान बना पाया। यह वह परियोजना है जिसके पूरे होने के साथ ही पूर्व से उत्तर से दक्षिण की दूरी लगभग 274 किमी कम हो जाएगी । यदि पूर्व अथवा पूर्वोत्तर क्षेत्र से दक्षिण के लिये यदि कोई रूट बनने वाला है तो वह यही बनने वाला है यदि प्रमुखता से कोई क्षेत्र सामने आने वाला है तो वह जबलपुर है। जबलपुर के बारे में धारणा रहीं है कि यहाँ की हमेशा उपेक्षा हुई है और उपेक्षा पर मलहम लगाने का कार्य मुख्यमंत्री शिवराज जी ने किया है और अनेकों सौगातें जबलपुर एवं महाकौशल क्षेत्र को दी और आने वाले 20 साल के बाद का जबलपुर कैसा होगा इसकी संकल्पना भी हमें करना होगी इसके लिये आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा।
ब्रिटिश समय के उपन्यास अरांउंड द वर्ल्ड इन 80 डेज में उल्लेखित पूर्व से पश्चिम मतलब बॉम्बे से हावड़ा के बीच में दो प्रमुख रेलमार्ग का उल्लेख है एक है वाया रायपुर-बिलासपुर जिसकी दूरी 1900 किमी है व दूसरा वाया जबलपुर-इलाहाबाद जिसकी दूरी 2100 किमी है और उसी उपन्यास में एक और रूट का उल्लेख है जो जबलपुर से अिंबकापुर होते हूए कलकत्ता तक जाता है। यह सबसे छोटा रूट हो सकता है यह ब्रिटिशर्स ने भी माना था लेकिन देश को आजाद हुए 65 वर्ष बीत गये किंतु किसी ने इस मार्ग की चर्चा भी नहीं की लेकिन इस बात पर गर्व है कि हमारे रेल मंत्री श्री प्रभु जी ने इस मार्ग को भी इस रेल बजट में स्वीकृति प्रदान की। अब जबलपुर उत्तर से दक्षिण एवं पूर्व से पश्चिम के मार्ग में भी होगा और यह केन्द्र बिंदु होगा परिणाम स्वरूप जबलपुर एक बड़े लॉजिस्टिक हब के रूप में सामने आयेगां और इस हब को बनाने की आवश्यक्ता महसूस हुई और विगत 5 वर्षो से मेरी मांग रही कि मदन महल स्टेशन को टर्मिनल स्टेशन बनाया जाये क्योकि यह शहर के मध्य में स्थित है और किसी भी शहर के विकास की जब बात की जाती है तो 20-25 साल के बाद के रोड मैप को ध्यान में रखते हुए विकास की अवधारणा की जाती है और यदि मदन महल में टर्मिनल स्टेशन बनेगा तो इससे न केवल ट्रैफिक मैनेजमेंट व्यवस्थित होगा साथ ही आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी होगा और इसका लाभ जबलपुर को मिलेगा। खुशी की बात है कि रेलमंत्री श्री सुरेश प्रभु ने रेल बजट के अंतिम क्षणों में इसे न सिर्फ स्वीकृति प्रदान की बल्कि 120 करोड़ की राशि भी स्वीकृत की और आज इस टर्मिनल का भूमिपूजन किया जा रहा है।
महाकौशल क्षेत्र के केन्द्र जबलपुर के विकास के लिये जिस सहृदयता का परिचय रेलमंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी ने दिया है आगे भी इसी सह्रदयता का परिचय हमें मिलेगा और हमें विश्वास है कि आप जैसे रेल मंत्री और मुख्यमंत्री के होते हुए अब जबलपुर की उपेक्षा नहीं होगी और यह मध्यप्रदेश के एक नं. शहर के रूप में जाना जाएगा।