विश्‍व मलेरिया दिवस

दिंनाक: 25 Apr 2017 13:40:14


ऋतु परिवर्तन जब भी होता है तो मच्छरों की संख्या भी बढ़ती है और उसी के साथ मलेरिया के शिकार होने की संभावना भी। ऐसे में मलेरिया की दस्तक घर-घर तक पहुँच जाती है। जरा-सी असावधानी इस रोग को पनपने की मुख्य वजह बनती है।
मौसम के बदलने पर यदि बुखार आ रहा है, सिर में दर्द है और कमजोरी लग रही है, तो लापरवाही न करें तुरंत चिकित्सक का परामर्श लें। हो सकता है ये छोटी-छोटी परेशानियाँ आगे चलकर मलेरिया का रूप ले लें। मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जिससे सावधानियाँ रखकर ही बचा जा सकता है। मलेरिया के विषय में जागरूकता लाने के लिए ही आज विश्व मलेरिया दिवस मनाया जा रहा है। इस लक्ष्य के तहत स्वास्थ्य कर्मी चयनित एरिया में जाकर मलेरिया के परीक्षण के लिए स्लाइड बनाते हैं, जिसे एक्टिव सर्वे कहते हैं। जो स्लाइड अस्पतालों में बनाई जाती है उसे पैसिव सर्वे कहते हैं। मच्छरों को कम करने के लिए फॉगिंग मशीन का उपयोग किया जाता है। ये मशीन नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित की जाती है। ठंड के बाद जैसे ही गर्मी बढ़ी है वैसे ही अचानक से मच्छर भी बढ़ गए हैं। चाहे कोई भी क्षेत्र हो मच्छरों ने तो परेशान कर रखा है। कुछ समय पूर्व टोमोफॉस युक्त मच्छरदानी प्रदान करने की मुहिम प्रारंभ की गई थी, जो अब भी जारी है। इस अभियान में मलेरिया के संक्रमण को रोकने के लिए टोमोफॉस नामक घोल में मच्छरदानी को डुबोकर दो घंटे तक सुखाया जाता है उसके बाद मच्छरदानी पूरी तरह से मलेरिया रोधक हो जाती है जो छह महीने तक कारगर होती है।
मलेरिया एक प्रकार के परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है। जिसका वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होता है। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मलेरिया परजीवी विशेष रूप से लाल रक्त कणिकाओं (आरबीसी) को प्रभावित करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मरीज कमजोर होता जाता है। यदि शुरुआत में ही ध्यान न दिया जाए तो इससे लीवर भी प्रभावित हो सकता है और रोगी पीलिया जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है।
मलेरिया के पहचान का तरीका मलेरिया के प्रमुख लक्षण यह हैं कि एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है। सिरदर्द और मितली आने के साथ कंपकंपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख हैं। मरीज को हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है।
मलेरिया से बचने के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचा जाए। मच्छरों से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ अपनानी चाहिए।
मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएँ छिड़कवाना, गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी हैं। यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुँचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती हैं।यदि मरीज में ऊपर लिखे लक्षण सामने आ रहे हैं तो उसका इलाज योग्य चिकित्सक से कराना चाहिए। कुनैन की गोली इस रोग में फायदा पहुँचाती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मामले में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होती है।मरीज को सूखे और गर्म स्थान पर आराम करने दें। कुनैन के कारण मरीज को मितली के साथ उल्टियाँ आ सकती हैं। इसके कारण मरीज को निर्जलन की शिकायत भी हो सकती है। याद रखें मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं।