फ्लाई ओवर, ग्रेटर रिंग रोड एवं एन.एच के निर्माण कार्यों की समीक्षा, संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति में तय की गई समय सीमा।

दिंनाक: 11 Jul 2017 18:58:55


जबलपुर के विकास को गति देने और महानगरीय स्वरूप में लाने के लिए हम सतत प्रयासरत हैं और इन्ही प्रयासों के चलते मैंने केन्द्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी के शहर आगमन पर जबलपुर में फ्लाई ओवर, ग्रेटर रिंग रोड और जबलपुर-बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव रखा था जिस पर स्वीकृति हो जाने के पश्चात इन कार्यों की कार्य प्रगति की समीक्षा हेतु मैंने जबलपुर कलेक्टर श्री महेश चंद्र चैधरी एवं एनएचएआई, एमपीआरडीसी, पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ सर्किट हाउस क्र. 1 में समीक्षा बैठक की। बैठक में उपरोक्त कार्यों की समय सीमा भी तय की गई हैं।

जबलपुर को महानगर बनाने और यातायात के दबाव को कम करने के लिये फ्लाई ओव्हर निर्माण की स्वीकृति केन्द्र सरकार द्वारा मिल चुकी है साथ ही इसके लिये राशि भी स्वीकृत की जा चुकी है। यह फ्लाई ओव्हर जबलपुर के लिए एक बहुत बड़ी सौगात होगी जिसकी लम्बाई लगभग 4 कि.मी. होगी और मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाई ओव्हर होगा। फ्लाई ओवर कि कंसलटेंसी का टेण्डर हो चुका है। 750 करोड़ रू. की लागत से बनने वाला एकमात्र फ्लाई ओव्हर है। अगले एक महीने में एजेंसी तय हो जायेगी। उसके बाद डीपाआर बनाने की कार्यवाही अगले दो महीने में पूरी हो जायेगी। डीपीआर बनने के साथ ही डीपीआर शासन को भेजा जायेगा। फ्लाई ओव्हर का काम उसके बाद प्रारंभ कर दिया जायेगा। जबलपुर में भविष्य में मेट्रो रेल प्रारंभ की जा सके इसके लिए फ्लाई ओव्हर की डिजाइन इस तरह से होना चाहिये कि मेट्रो में कठिनाई नहीं आनी चाहिये क्योंकि लखनउ शहर में पूर्व में इस तकनीकी त्रुटि की चलते मेट्रो बन गया लेकिन फ्लाई ओव्हर नहीं आ सका। और इसीलिए जबलपुर में मेट्रो बने उसके हिसाब से फ्लाई ओवर की डिजाइन होना चाहिये। इसके लिये लेवल 2 पर फ्लाई ओव्हर एवं लेवल 1 पर मेट्रो बनना चाहिये। साथ जब इसकी डीपीआर बने तो इसमें प्रावधान रहना चाहिये कि फ्लाई ओव्हर में स्मार्ट लाइटिंग लगायी जाये।

आने वाले 50 सालों में शहर में ट्रेफिक के सुनियोजित संचालन के लिए दीर्घकालीन सोच के तहत इस ग्रेटर रिंग रोड की मांग केन्द्रीय परिवहन मंत्री मान. श्री नितिन गड़करी जी से की थी जिसको उन्होंने स्वीकृति प्रदान कर दी थी। जबलपुर के चारों ओर बनने वाली इस ग्रेटर रिंग डो में लेण्ड रिक्यूजिशन का काम राज्य सरकार करेगी। लेण्ड की कार्यवाही राज्य सरकार को करना है और इसके अंतर्गत यह निर्धारित किया गया है कि नर्मदा एक्सप्रेस वे जो अपने आप में एक अलग और सेपरेट एक्सप्रेस वे बनने वाला है उसके लिए कंसलटेंसी एजेंसी की जो निविदा आमंत्रित की गयी है वह 5 अगस्त को खुलने जा रही है। इस बात का प्रयास है कि जो एजेंसी इस काम को ले रही है उसी को एडिशनल कार्य के रूप में इस ग्रेटर रिंग रोड के कंसलटेंसी का काम भी दिया जाये ताकि समय बचाने व किसी बड़ी एजेंसी को काम देने के लिए यह कार्य समयसीमा में पूरा किया जा सके और अगर किसी तरह की कोई कठिनाई आई तो इसके लिए अलग से टेण्डर कर दिया जायेगा उसमें 45 दिन का समय अतिरिक्त लगेगा। कंसलटेंसी रिपोर्ट आने के बाद अगले 2 महीने में रिंग रोड का एलायमेंट निर्धारित हो जायेगा। और उसके साथ ही लेण्ड रिक्यूजिशन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। लेण्ड रिक्यूजिशन की प्रक्रिया के लिए लेण्ड रिक्यूजिशन में आने वाला खर्च का आंकलन करने के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार को लिखित में अंडरटेकिंग दे देगी। इसके लिए अभी तक के हिसाब से जो निर्धारित समय है वह नवम्बर-2017, के अंत तक है इस पूरी प्रक्रिया को करने में। सांसद ने कहा है कि यह रिंग रोड जहां-जहां भी एन.एच को छूती है भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए वहां-वहां पर फ्लाई ओेव्हर बने ताकि यह सभी स्थान एक्सीडेंटल फ्री हो सकें।

बैठक में यह भी निर्धारित किया गया कि इस रिंग रोड पर कम से कम 2 स्थानों पर देश के महानगरों में बनी रिंग रोड के अनुसार ही वे साइड एनीमेटिज (रास्ते में पड़ने वाली सुविधायें) होनी चाहिये। इस रिंग रोड पर लॉजिस्टिक पार्क का भी प्रावधान होगा इसके लिए स्थान और माडल का निर्धारण कंसलटेंट एजेंसी तय करेगी। यह लॉजिस्टिक पार्क पी.पी.पी. मोड पर होगा इसके लिए जगह शासन कराकर देगा यह रिंग रोड लगभग 112 कि.मी.की प्रस्तावित है जो कि म.प्र. की सबसे बड़ी रिंग रोड होगी और यह रिंग रोड 1300-1400 करोड़ रू. की लागत की होगी जिसमें भूमि की लागत शामिल नहीं है। इसके लिए निर्धारित एजेंसी नेशनल हाइवे अथारिटी ऑफ़ इंडिया होगी।

बैठक में एक और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हुई जिसमें डुमना एअरपोर्ट जाने के लिए अभी सिर्फ एक मात्र मार्ग उपलब्ध है इसके अतिरिक्त डुमना से पिपरिया जो कि अमरकंटक मार्ग पर स्थित है वहां पर मार्ग बनाया सकता है जिसकी दूरी 5 कि.मी. है। इसके निर्माण पर 4-5 करोड़ रू0 की राशि का खर्च आयेगा। इस हेतु भी म0प्र0 में पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री रामपाल सिंह से चर्चा की जायेगी।

श्री गड़करी जी के आगमन पर एक और बड़ी घोषणा की गयी थी जिसमें मां नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक को जबलपुर से जोड़ते हुए बिलासपुर छत्तीसगढ़ बीच में नया नेशनल हाइवे का निर्माण किया जायेगा। इस एनएच मार्ग हेतु डीपीआर का टेण्डर हो चुका है। फायनेंशियल ऑफर 30 जुलाई को खोला जायेगा इसके पश्चात् अगले 30 दिनों में दर स्वीकृति के लिए केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय को भेजा जायेगा। इस प्रकिया को पूरा करने में लगभग 6 महीने का समय लगेगा और डीपीआर होने के पश्चात् टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ हो जायेगी। इस मार्ग पर भी लगभग 1250 करोड़ रू. की लागत आयेगी।

बैठक में सांसद श्री सिंह ने एन.एच.7, एन.एच 12, एन.एच.12 ए इनके निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की और निर्धारित हुआ है जो जानकारी दी गयी है उसके अनुसार एनएच-7 कटनी-जबलपुर से लेकर नागपुर तक के मार्ग में कटनी से जबलपुर के बीच के हिस्से का कार्य लगभग 35 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है एवं बारिश खत्म होते तक 40-45 प्रतिशत काम पूर्ण हो जायेगा और अगले साल 2018 जून तक कटनी से जबलपुर के बीच में एन.एच.7 का कार्य एनएचएआई द्वारा पूर्ण कर लिया जायेगा। जबलपुर-लखनादौन का कार्य 40 प्रतिशत काम पूर्ण हो चुका है। कुल 80 कि0मी0 में से 15 कि0मी0 में फोर लेन का कार्य हो चुका है। अगस्त 2018 तक जबलपुर से लखनादौन के बीच का फोर लेन का कार्य पूर्ण हो जायेगा जिसमें एक आर.ओ.बी. और दो पुल का निर्माण कार्य भी शामिल है।

एन.एच.12 जो कि जबलपुर से भोपाल तक बनाया जाना है एमपीआरडीसी की देखरेख में होने वाले इस मार्ग का निर्माण का कार्य एम.बी.एल. नामक कंपनी को मिला था लेकिन 2 वर्ष पूर्ण हो जाने के पश्चात् भी कंपनी द्वारा काम नहीं करने के कारण फोर्स क्लोजर हेतु केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय ने आदेश जारी कर दिया है प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 जुलाई तक फोर्स क्लोजर के आदेश म.प्र. शासन द्वारा भी जारी कर दिये जायेंगे। इसके पश्चात् नया टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
साथ ही एमपीआरडीसी की देखरेख में एन.एच.12ए के निर्माण को लेकर बैठक में चर्चा हुई और उसमें अभी तक किये गये कार्य और कार्य की पूर्णता के लिए लगने वाले समय इसे भी निर्धारित किया गया। यह कार्य 3 भागों में किया जाना है जिसमें भाग -1 में सालीवाड़ा से डोभी तक है जो कि 22 कि0मी0 का कार्य 30 अगस्त 2017 तक पूर्ण हो जायेगा। इसकी लागत लगभग 206 करोड़ रू0 है। भाग 2 में डोभी से लेकर मंडला तक का कार्य है जिसकी लम्बाई 64 कि.मी. है जिसमें से 18 कि.मी. का काम पूर्ण हो चुका है। शेष बचा हुआ कार्य मार्च 2018 तक पूर्ण कर लिया जायेगा। इसकी लागत 251 करोड़ रू0 है। इसी मार्ग का तीसरा भाग मण्डला से चिल्पी का है जो लगभग 92 कि.मी. का है जिसमें लगभग 90 प्रतिशत काम पूर्ण हो चुका है। शेष बचा कार्य अगस्त 17 तक पूर्ण हो जाने की संभावना है। इसकी लागत लगभग 415 करोड़ रू. की है।

मेरे प्रयासों से जबलपुर में वायएमसीए से लेकर बरेला के बीच की रोड हेतु केन्द्रीय परिवहन मंत्रालय 49 करोड रू0 की राशि स्वीकृत की थी जिसकी टेण्डर प्रक्रिया भी पूर्ण कर ली गयी है और स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है। इसकी संभावना यह है कि इसकी स्वीकृत प्राप्त हो जायेगी बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि जबलपुर की आवश्यकताओं को देखते हुए यह रोड फोर लेन की तर्ज पर बनना चाहिये। अभी इसकी चैड़ाई 12 मीटर है और यह बढ़कर लगभग 15 मीटर हो जाती है तो यह जबलपुर की आवश्यकताओं के एकदम अनुकुल हो जायेगा। इसके लिए मात्र स्वीकृति प्राप्त करना है और यह टेण्डर हो जाने के पश्चात् इसको फोर लेन के अनुसार भी इसका निर्माण किया जा सकता है। साथ ही बैठक में एक और महत्वपूर्ण विषय विषय पर चर्चा हुई जिसमें बरेला में जो टोल प्लाजा का निर्माण हुआ है उसको लेकर स्थानीय लोगों ने आपत्तियां दर्ज की थीं। जिस पर मैंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि इसमें तत्काल कार्यवाही करें और स्थान परिवर्तन के बारे में आवश्यक कदम उठायें। संभावना है कि स्थान परिवर्तन का यह कार्य भी किया जा सकता है।

जबलपुर के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से उनके द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। जबलपुर पूर्ण रूप से एक महानगर के रूप में विकसित हो इस हेतु सभी आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर अब जबलपुर को प्राप्त हो चुके हैं। रेलवे और एअरपोर्ट के विकास के लिए मिलने वाली राशि को छोड़ भी दिया जाये तो केवल जबलपुर में सड़कों का निर्माण फ्लाई ओव्हर, ग्रेटर रिंग रोड, लॉजिस्टिक पार्क जैसी सड़क संबंधित आधारभूत संरचनाओं के लिए मेरे प्रयासों से लगभग 3500 करोड़ रू0 के काम स्वीकृत हो चुके हैं जिनमें सीआरएफ के अंतर्गत बनने वाली सगड़ा-लम्हेटाघाट सड़क तथा कटंगी-मझौली पोला मार्ग भी शामिल है।

बैठक में लोनिवि विभाग के मुख्य अभियंता श्री आर.के.गुप्ता, लोनिवि अधीक्षण यंत्री श्री एस.सी.वर्मा, एमपीआरडीसी जीएम भोपाल श्री श्रीराम मिश्रा, संभागीय प्रबंधक श्री आर.एस.बैरागी, महाप्रबंधक जबलपुर श्री सुनील शर्मा,एनएचएआई प्रबंध निदेशक श्री शरद सिंह, लोनिवि सेतु कार्यपालन यंत्री श्री दिनेश कौरव, लोनिवि कार्यपालन यंत्री श्री गोपाल गुप्त, लोनिवि अनुविभागीय अधिकारी श्री बी.एन.शुक्ला, एमपीआरडीसी परियोजना प्रबंधक श्री राजेन्द्र चंदेल, श्री एम.सी.चैधरी उपस्थित थे।

जबलपुर के विकास के लिए जबलपुर की जनता के आशीर्वाद से मैं संकल्पित हूँ और अपनी ओर से जबलपुर के लिए जबलपुर के सभी जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर प्रयास करता रहूँगा।