दिंनाक: 23 Oct 2016 11:11:56 |
कुम्हारन बैठी सड़क किनारे, लेकर दीये दो-चार।
जाने क्या होगा अबकी, करती मन में विचार।।
याद करके आँख भर आई, पिछली दीवाली त्योहार।
बिक न पाया आधा समान, चढ़ गया सर पर उधार।।
सोच रही है अबकी बार, दूँगी सारे कर्ज उतार।
सजा रही है, सारे दिये करीने से बार बार।।
पास से गुजरते लोगों को देखे कातर निहार।
बीत जाए न अबकी दिवाली जैसा पिछली बार।।
नम्र निवेदन मित्रजनों से, करता हुँ मैँ मनुहार।
मिट्टी के ही दीये जलाएँ, दिवाली पर अबकी बार।।
दिपावली… यानी दिप यानी दियों का पर्व। बगैर जगमगाते दियों के इस पर्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पहले था भी ऐसा ही कुछ कि इस दिन हर घर में दिये जलते थे। प्रतियोगिता सी दिखती थी कि किसी के यहां दस, तो किसी के यहां पचास।
परंतु वक़्त के साथ साथ स्थिति बदल गयी। मिटटी के दियों की जगह इलेक्ट्रॉनिक लाईट ने ले ली। और इस बाजार पर पकड़ बना ली चीन के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों ने। बीते कई वर्ष से चीन में बने सामानों ने भारतीय त्योहारों पर कब्जा जमा लिया। होली हो चीनी पिचकारी, रक्षा बंधन हो वहां की बनी राखियां और दिपावली आई चीनी झालर, पटाखे और सजावट का सामान। दूकानदार से लेकर फुटपाथ का फेरीवाला सब चायनीज सामान धडल्ले से बेचने लगे और ख़ुशी ख़ुशी ग्राहकों को भी बताने लगे की यह चाइना का माल है और सस्ता है। इस सस्ते सामान से होने वाली बचत के लालच ने गुणवत्ता को तो नज़रअंदाज़ कर ही दिया साथ ही हमारे भारत देश की अर्थ व्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ने लगा।
इसके विपरीत चीन का व्यापर बढ़ता गया। आज चीन भारत में कमाए गए पैसों का उपयोग हमेशा भारत के नुकसान के लिए ही करता है। इन्ही पैसों से वह पाकिस्तान को आर्थिक मदत करता है जो हमारे देश में आतंकवाद को बढ़ावा देता है। चीन इन पैसों से सीमा क्षेत्रों में सड़क, रेल, बाँध, पुल का निर्माण करते जा रहा है। पाक अधिकृत कश्मीर में उसने सड़क और रेल नेटवर्क बना लिया है। चीन की सेना विश्व की सबसे बड़ी सेना और ताकतवर सेना है और उस सेना का खर्च भी सबसे अधिक है। इस सेना का खर्च वहन करने के लिए चीन अपने देश के सामान को विदेशो में बेचता है और अपनी सेना का खर्च वहन करता है।
यह आश्चर्यजनक है कि विदेशी बाजारों में जो चीनी माल बेहद सस्ता मिलता है वह स्वयं चीन में महंगा है। यह समझने का विषय है कि भारतीय बाजार में उपलब्ध चीनी माल सस्ता तो है लेकिन साथ ही घटिया भी है। बिना गैरन्टी का यह सामान न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य को बल्कि हमारे उद्योगों को भी हानि पहुंचा रहा है। 1962 में चीन ने भारतीय सीमा में अपनी सेनाओं के सहारे घुसपैठ की थी। वही घुसपैठ वह आज भी कर रहा है बस उसके सैनिक और उनके हथियार बदल गए हैं। आज उसके व्यापारियों ने सैनिकों की जगह ले ली है और चीनी माल हथियार बनकर हमारी अर्थव्यवस्था, हमारे मजदूर, हमारे उद्योग, हमारा स्वास्थ्य सभी पर धीरे-धीरे आक्रमण कर रहा है।
अब आप ही सोचिये की क्या हमें ऐसे देश का सामान खरदीना चाहिए जो भारत देश का नुकसान करने का हर संभव प्रयास करता है ?
हम भारतवासी ऐसा क्या कर सकतें हैं जिससे हमारा देश समृद्ध बने, स्वदेशी व्यापर को बढ़ावा मिले, भारत देश की आर्थिक स्थिति मजबूत हो ?
आप सभी लोगों से निवेदन है की भारत देश की अर्थ व्यवस्था, सुरक्षा, संस्कृति व सम्मान को बढ़ाने में अपना योगदान दीजिये।
जब हम दिवाली के समय चायनीज लाइटिंग, चायनीज बिजली तोरण, कंदील, दिये और पटाखे खरीदते हैं तब हम सिर्फ चाइना को ही अमीर नहीं बनाते बल्कि अपने देश के उन परिवारों से उनकी खुशियाँ छींनते है जो दिन रात कड़ी मेहनत कर कंदील और दिये इस उम्मीद से बनाते हैं की त्योहारों में इसकी विक्री कर वो अपना जीवन यापन कर सकेगें, अपने बच्चों को शिक्षा दिला सकेंगे।
आइये हम सब मिल कर प्रण करें और चीन निर्मित सामान की खरीदारी का बहिष्कार करें। दुकानदारों से चाइनीज माल की मांग न करें।
जिन दुकानों पर चाइनीज आइटम हैं, ग्राहक वहां जाने से ही परहेज करें।
इस बार दिपावली में रोशनी की चकाचौंध के लिए चाइनीज झालर का इस्तेमाल नहीं करेंगे।
स्वदेशी झालर, दीपक, मोमबत्ती पर अधिक जोर दें। पूजा के लिए चाइनीज गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं न लाएं।
उपभोगताओं के साथ साथ दुकानदार भी चाइनीज सामान का बहिष्कार करें।
इस दिवाली पर मिट्टी के दिये जलाएं। भारतीय संस्कृति को मजबूत बनाएं। दिये जलाने से कुम्हारों के घर भी दिवाली मनेगी।
दीये जलेंगे और उनके घर भी खुशहाली आएगी।
दिवाली की खरीददारी ऐसी जगह से कीजिये, जो आपकी खरीददारी की वजह से खुशहाली भरी दिवाली मना सकें।
MAKE IN INDIA ये सिर्फ नारा नहीं है अपितु ये हमारे देश की शान है और हमें अपने देश की शान में चार चाँद लगाने का सतत प्रयास करना चाहिए।
आशा है की आप यह जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएंगे और देश की तरक्की में अपना योगदान देंगे।
जय हिन्द। जय भारत।