दिंनाक: 15 Nov 2016 10:19:54 |
जर्मनी के बर्लिन शहर में क्लाइमेट पार्लियामेंट द्वारा जर्मनी के जलवायु के विषय में सांसदों का क्षमता निर्माण तथा ऊर्जा नीतियां और भारत जर्मन सहयोग पर आयोजित सम्मलेन Conference on Legislators Capacity Building on German Climate Energy Policies and Indo & German Cooperation में मैं भी सम्मिलित हुआ। इस सम्मलेन में भाग लेने हेतु विभिन्न भारतीय राजनितिक दलों के सात सदस्यों के प्रतिनिधि मंडल ने भारत की और से प्रतिनिधित्व किया।
हम भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने इस प्रवास में जर्मनी को नजदीक से समझने का प्रयास किया । जर्मन नागरिक अत्यंत अनुशासित तथा अपने कार्य के प्रति समर्पित है । अपने देश के लिए हर जर्मन नागरिक अपने हिस्से का सर्वश्रेष्ठ योगदान देना चाहता है, साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति पथ पर तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है । यह मानने के साथ ही जर्मन नागरिक इंडोलाजी यानि भारत के बारे में काफी जानकारियां रखतें है तथा अधिक जानने का प्रयास करते है ।
इस सम्मलेन में शामिल संसद सदस्यों को जर्मनी के पर्यावरण तथा ऊर्जा नीतियों के विषय में विस्तृत जानकारी एवं प्रस्तुति दी गयी। मुख्यतः जर्मनी का जो फ्लैगशिप प्रोग्राम Energiewende (Energy Transition) पर महत्त्वपूर्ण चर्चा की गयी। इस फ्लैगशिप प्रोग्राम के अंतर्गत जर्मनी अपने ऊर्जा का जो प्रमुख स्त्रोत अणु ऊर्जा Atomic Energy है उससे गैर पारंपरिक तथा नवीकरणीय ऊर्जा के स्त्रोतों की और बढ़ाना है। इस दिशा में जर्मनी में काफी ठोस एवं आश्चर्यजनक कार्य किया गया है जो अन्य देशों के लिए रोल मॉडल हो सकता है। अभी-तक जर्मनी में आठ बिजलीघरों को बंद कर दिया गया हैं, और बाकी को 2020 तक पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया गया है ।
2011 में जर्मनी की बिजली सप्लाई में अक्षय ऊर्जा का हिस्सा बढ़कर 21 फीसदी हो गया। एक साल पहले के मुकाबले चार फीसदी ज्यादा इसमें पवन ऊर्जा का हिस्सा 8 फीसदी, बायोगैस का हिस्सा 6 फीसदी और सौर ऊर्जा का हिस्सा चार फीसदी है। सौर पैनल इस बीच पनबिजली से ज्यादा ऊर्जा की सप्लाई कर रहे हैं। पहले 8 परमाणु बिजली घरों को बंद करने के बाद परमाणु बिजली का हिस्सा 22 फीसदी से गिरकर 15 फीसदी रह गया है। जर्मन सरकार इसे आने वाले सालों में आधुनिकीकरण का सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मान रही है।
इस समूचे सम्मलेन के आयोजन का प्रमुख उद्देश्य वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन के विषय में जो उपयुक्त कदम जर्मनी तथा भारत द्वारा उठाए जा रहे है, उस पर विस्तृत चर्चा करना और अपने अपने देश के व्यावहारिक और नीतिगत अनुभवों को साँझा करना था। विश्व के कुल बढ़ते तापमान Global Warming की और उसके दुष्परिणामों की चर्चा भी एक महत्वपूर्ण बिंदु इस आयोजन का रहा।
भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा गत वर्ष 2015 में जर्मनी की प्रवास में जलवायु परिवर्तन Climate Change के विषय को लेकर तथा नवीकरणीय ऊर्जा Renewable Energy के विषय के सन्दर्भ में नीतिगत सहमति बनी थी। इस के पश्चात जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल भी भारत के प्रवास पर थी। इस दौरान India Germany Climate and Renewable Energy Alliance की स्थापना को सैद्धांतिक मंजूरी दी गयी। स्वच्छ ऊर्जा के निर्माण के संदर्भ में उठाया गया यह एक महत्वपूर्ण कदम था। इसके आलोक में ही यह सम्मलेन आयोजित किया गया।
इस सम्मलेन में जो विचार तथा अनुभवों का आदान प्रदान हुए उस से यह स्पष्ट है की स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने हेतु जर्मनी में इस दिशा में सर्वाधिक कार्य हुआ है, जिस का अनुसरण भारत कर सकता है और इसी दिशा में भारत सरकार गंभीरता से आगे बढ़ रही है। वर्तमान में भारत में समूचे ऊर्जा उत्पन्न करने में जो पारंपरिक स्त्रोतों का उपयोग होता है उसे एक निश्चित समयावधि में चरणबद्ध कार्यक्रम से कम करते जाना इसका एक प्रमुख उद्देश्य है। इस के लिए गैर पारंपरिक संसाधनों के तहत नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों Sources of Renewable Energy के उपयोगों पर बल दिया जा रहा है जैसे की सौर ऊर्जा Solar Energy पवन ऊर्जा Wind Energy एवं पनबिजली (भ्लकमस च्वूमत) को बढ़ावा देना प्रमुख रूप से शामिल है ।
वर्तमान में भारत में कोयले का जो उपयोग बड़े पैमाने (69प्रतिशत) पर कुल ऊर्जा उत्पादन में होता है उसे भी धीरे धीरे घटाने की आवश्यकता महसूस होने लगी है, क्योंकि इस से जो कार्बन उत्सर्जन होता है उसे पर्यावरण को काफी क्षति पहुचती है और यह समूचे विश्व में जलवायु परिवर्तन के लिए एक प्रमुख कारण होने पर वैश्विक सहमति बनी है । इस कड़ी में यह सम्मलेन जानकारियों को साँझा करने की दृष्टी से अत्यंत उपयोगी रहा है।
सम्मलेन में सहभागी प्रतिनिधियों को जर्मनी के पर्यावरण, ऊर्जा तथा वित्त मंत्रालयों के और इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड सस्टेनेबिलिटी स्टडीज के विशेषज्ञों से निकटता से चर्चा करने तथा विचार सांझा करने का अवसर प्राप्त हुआ ।
कांफ्रेंस की शुरुआत Renewable Academy RENAC बर्लिन में हुई जिसमे एनर्जी ट्रांजीशन विषय पर विस्तार से डॉ. रोमन बुस, डायरेक्टर RENAC ने जानकारियाँ दी। इसके अतिरिक्त German Energy Transition Policies and Support Schemes पर जर्मनी के आर्थिक व ऊर्जा मंत्रालय में डॉ. मार्टिन स्कोव (प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा पालिसी विभाग ) द्वारा प्रेजेंटेशन तथा बिन्दुवार जानकारिया दी गयी ।
इसी मंत्रालय में अल्बर्ट टायरमेन (डायरेक्टर दृ ग्रिड इंटीग्रेशन ऑफ़ रिन्यूएबल तथा विंड एनर्जी ) और वोल्फडीटर बोल्हर Head of Division& International Cooperation of Energy Policy ने भी जर्मनी द्वारा किये जा रहे कार्यों की जानकारिया दी। जर्मन पार्लियामेंट में जर्मन एनर्जी व क्लाइमेट पॉलिसी पर जर्मन सांसद थॉमस बेरिग ने भारतीय दल के साथ विस्तृत चर्चा की। इस दौरान डॉ. नीना स्किट सांसद जर्मनी ने भी जलवायु परिवर्तन पर एनर्जी पॉलिसी के बारे में विस्तृत विचार रखें ।
भारतीय दल ने बर्लिन के पास के फेल्दहिम नामक गाँव का भ्रमण किया जो पूर्णतः स्वच्छ ऊर्जा युक्त (100 प्रतिशत Renewable Energy) गाँव है । आश्चर्यजनक रूप से भारतीय दल ने यह देखा की कुल 130 घरों की आबादी वाले इस गाँव में प्रत्येक घर में गैर परंपरागत ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। यहां पवन बिजली, सौर बिजली तथा बायोगैस बिजली के उत्पादन से न सिर्फ गाँव को आवश्यकताओं की पूर्ति होती है बल्कि शेष उत्पादित बिजली को कमर्शियल उपयोग के लिए बेचा भी जाता है। कुल 130 घरों की आबादी वाले इस गाँव में दुनिया की अत्याधुनिक जर्मन तकनीक के उपयोग से यह गाँव आज दुनिया भर के लोगों के लिए Renewable Energy क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र है । इस गाँव के प्रत्येक व्यक्ति ने दुनिया में बढ़ते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में अपनी भूमिका सुनिश्चित की है ।
भारतीय दल ने पर्यावरण प्रकृति संरक्षण Nature Conservation व न्यूक्लिअर सेफ्टी मंत्रालय का भ्रमण कर वहां इवा क्राच Head of Unit Europian Union से मुलाकात की तथा भारत में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु गतिविधिया इस विषय पर विस्तृत चर्चा व जानकारियों का आदान-प्रदान किया । भारतीय दल के साथ डिर्क विज जो जर्मनी के सांसद व इंडो जर्मन पार्लियामेंटरी फ्रेंडशिप ग्रुप के सदस्य है ने डीकार्बोनाईजेशन पर विस्तृत चर्चा कर कर जानकारियों का आदान प्रदान किया । इसके साथ ही जर्मन फेडरेशन इंडस्ट्रीज BDI बिल्डिंग में डॉ. इबरहार्ड बान तथा जॉन नेक तथा लीओन मेसिजेक जो क्लाइमेट तथा एनर्जी पॉलिसी के विशेषज्ञ है ने विस्तृत प्रेजेंटेशन भारतीय दल को दिया । साथ ही रिन्यूएबल एकेडेमी RENAC में एलिग्रेट ग्रोबल Head of Department International Relations डॉ. डेविड रेंटो Deputy Head of Division South Asia डॉ. सिल्विया बारबोंस तथा एल्बर्ट टाइडमेन द्वारा जर्मन-भारत सहयोग, अंतर्राष्ट्रीय क्लाइमेट पहलों पर लक्ष्य, गतिविधिया तथा उपलब्धियों पर विस्तृत प्रेजेंटेशन तथा चर्चा के माध्यम से जानकारियां दी गयीं।
चार दिवसीय इस अत्यंत व्यस्त तथा महत्वपूर्ण कांफ्रेंस में भारतीय संसदीय दल ने प्रत्येक दिन 8 से 10 घंटों तक मीटिंग्स में न सिर्फ पूरा समय दिया बल्कि चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रश्नों के माध्यम से जिज्ञासाओं का समाधान किया तथा भारत में Renewable Energy की संभावनाओं पर जर्मनी की भूमिका भी सुनिश्चित करने का प्रयास किया ।
इसमें महत्वपूर्ण बात यह की जर्मनी इस बात को स्वीकार कर रहा है की भारत में कम समय में काफी सकारात्मक परिवर्तन और विकास हो रहा है । आज आवश्यकता इस बात की है की अपने देश में भी जलवायु परिवर्तन के खतरों को हम भी समझे तथा हमारे पास Renewable Energy के लिए प्रचुर मात्रा में उपलब्ध संसाधनों की ताकत को समझते हुए देश को पर्यावरणीय खतरों से मुक्त कराए ।
यह प्रवास अत्यंत शिक्षात्मक तथा सारगर्भित रहा, इस क्षेत्र में विस्तृत बात रखने की आवश्यकता पर बल दिया । भारत की और से सम्मिलित प्रतिनिधियों ने अपने देश की स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की निति के प्रति अपनी सरकार की प्रतिबद्धता को कांफ्रेंस में बार-बार दोहराई।