दिंनाक: 15 Nov 2016 17:43:28 |
आज भारत को सपने देखने वालों से ज्यादा जरूरत, सपने पुरे करने वालों की है। आजादी के करीब 70 साल बाद भी भारत के लोगों के वो सपने अब तक पूरे नहीं पाएं हैं जो उन्होंने देखे थे। दशकों से भारतीय नेताओं ने दोषपूर्ण आर्थिक विकल्पों का चुनाव कर देश में गरीबों की संख्या को बढ़ा दिया है। अन्य राजनेताओं से अलग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस व्यक्तिगत अनुभवों से इस वास्तविकता को समझा है। और बीते दो साल के कार्यकाल में, उन्होंने सबसे कमजोर तबके के साथ साथ अपने महान देश की तकदीर बदलने के स्थायी समाधान के लिए अपने दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल से नया भारत तेजी से आकार ले रहा है। दिनांक 08 नवम्बर 2016, समय रात्रि 8:37 बजे, अचानक इंटरनेट, टी.वी., यूट्यूब सहित सभी आधुनिक संचार माध्यमों पर सिर्फ एक ही नाम की धूम और वह था भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का। इस बार उन्होंने भारत-पाक सीमा पर नहीं बल्कि आर्थिक जगत या यूं कहें तो ज्यादा सटीक होगा कि आम हिन्दुस्तानी के जीवन से जुड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की घोषणा करके कुछ देर के लिए देशवासियों की धडक़नों को जैसे थाम सा दिया। सच पूछा जाए तो देशहित में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ऐसा साहस भरा कदम उठाया है जिसकी शायद फिलहाल किसी ने कल्पना तक नहीं की थी।
प्रधानमंत्री मोदी जी के इस कदम से सबसे बड़ा झटका उन लोगों को लगा है जो भारत को खोखला कर रहे थे। झटका लगा है उन सफेदपोश धन्नासेठों को जिनकी कोठियां और तिजोरियां काले धन से सजी हैं। झटका लगा है सीमापार बैठे उन आतंकवादी शक्तियों को जो नकली करेंसी भारत में भेजकर हमारी अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर रहे थे। वो एक ऐसे छुपे हथियार से भारत पर वार कर रहे थे जिसका एकमात्र यही जवाब था जो आज मोदी ने दिया। देशहित में पिछले माह कश्मीर सीमा पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक का यह अगला कदम कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होना चाहिए। इससे भारत मजबूत होगा, काला धन बाहर आएगा और देश में अच्छे दिन लाने में आसानी होगी।
एक तरफ माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए साहस भरा कदम उठाया है तो दूसरी ओर इस घोषणा से देशवासियों में खासतौर से छोटे शहरों, गांवों और कस्बों में लोगों के बीच घबराहट देखी जा रही है। ऐसा होना अवश्यम्भावी भी है। सबसे ज्यादा घबराहट भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कहे जाने वाले असंगठित क्षेत्र के लोगों में है। जिसके पास बैंक खाता नहीं ऐसे लोग क्या करेंगे? नि:संदेह उनके लिए यह खबर एक बड़े झटके से कम नहीं है। लोगों में इस बात का डर भी है कि वो बाजार में जाते हैं और उनके पास पांच सौ या हजार रुपए का नोट ही है तो वह कैसे सामान ले पाएंगे। इस निर्णय से कितना कालाधन बाहर आएगा? या फिर प्रधानमंत्री का यह तरीका तिजोरियों में जमा काले धन को कितना नेस्ताबूत कर पाएगा इसकी असल तस्वीर आने में अभी समय लगेगा।
हालांकि प्रधानमंत्री जी जब देश से सीधे संबंध रखने वाले इस बड़े फैसले की घोषणा कर रहे थे उस समय भी उन्हें इस बात का बखूबी ध्यान था कि इससे सर्वाधिक झटका उन मध्यम वर्गीय लोगों को लग सकता है जो अपनी रोजमर्रा की जरूरतों अथवा हारी-बीमारी के लिए आवश्यकता से कुछ थोड़ा ज्यादा पैसा अपने पास जमा रखते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने भाषण में ऐसे लोगों को भरपूर भरोसा दिलाते हुए उनके हितों के संरक्षण की बात कही, उन्होंने कहा कि देश के लिए देश का नागरिक कुछ दिनों के लिए यह कठिनाई झेल सकता है, मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की मदद से भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई को और आगे ले जाना चाहता हूँ, उन्हीं के शब्दों में "तो आइए जाली नोटों का खेल खेलने वालों और कालेधन से इस देश को नुकसान पहुंचाने वालों को नेस्तनाबूत कर दें, ताकि देश का धन देश के काम आ सके, मुझे यकीन है कि मेरे देश का नागरिक कई कठिनाई सहकर भी राष्ट्र निर्माण में योगदान देगा।" मोदी के इन शब्दों को पूरे देशवासियों को ध्यान से पढऩा चाहिए।
महिलाओं की जमापूंजी पूरी तरह सुरक्षित
गाजीपुर में सार्वजनिक सभा के दौरान प्रधानमंत्री ने महिलाओं को किसी भी भड़कावे में नहीं आने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि मेरी माताओं-बहनों का घर में जोड़ा हुआ, एक-एक पैसा सुरक्षित है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर इस बात को दोहराते हुए कहा कि "जब तक आपका ये भाई नरेंद्र मोदी जिंदा है, कोई अफसर आपके पैसे की तरफ आंख भी नही उठा सकता। इसलिए आप बेफ्रिक होकर अपना ढाई लाख रूपये बैंक में जमा कराइए।"
माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी अपने संबोधन में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा है, "देश की जनता ने इस सरकार को देश के उज्ज्वल भविष्य और भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए चुना है, तो में उनकी इस आशा को खाक में मिलने नहीं दूंगा।"
भ्रष्टाचार, काले धन के खिलाफ सरकार द्वारा चलाये जा रहे इस आंदोलन से देशवासियों को हो रही तकलीफ़ों के प्रति प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी संवेदनाएं भी जाहीर की। साथ ही कहा कि देशवासियों की इन तकलीफ़ों को देखकर उन्हे भी बहुत तकलीफ होती है मगर उन्होने यह फैसला किसी रोष या अहंकार में आकर नहीं लिया है। माननीय मोदी जी ने कहा की उन्होंने गरीबी देखी है और वो लोगो की तकलीफ समझते हैं।
हमें नहीं भूलना चाहिए कि राष्ट्रहित से बड़ा कोई नहीं। हमारा व्यक्तिगत स्वार्थ और समस्याएं तो कतई नहीं। जरूरत धैर्य और समझ से काम लेने की है। उन लोगों को कतई घबराने की आवश्यकता नहीं जिन्होंने अपनी मेहनत की कुछ कमाई बुरे वक्त के लिए जमा की है। हां यह निर्णय उन लोगों के लिए किसी वज्राघात से कम नहीं जो कालेधन को बाहर लाने की लगातार की जा रही अपीलों को नजर अंदाज कर रहे थे। इस निर्णय से सरकार की लगातार आलोचना में जुटे कुछ वामपंथी, तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों को हो सकता है एक मुद्दा अवश्य मिल गया है, लेकिन जिन्हें इस देश से प्यार है वह भली प्रकार समझ चुके हैं कि जब भी राष्ट्रहित की बात आती है इन लोगों को देश खतरे में नजर आता है।
इस बार भी माननीय मोदी जी ने राष्ट्रहित में साहस भरा कदम उठाया है तो आइए इसका स्वागत करें।
मैं आप सभी से निवेदन करता हूँ कि सरकार की ओर से जारी किये गए निर्देशों का पालन और सहयोग करें।
- आपका अपना, सांसद राकेश सिंह।