दिंनाक: 21 Nov 2016 11:12:53 |
मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी माँ नर्मदा मैया की स्वच्छता और संरक्षण के लिए व्यापक जन सहयोग से ११ दिसंबर से 'नर्मदा सेवा यात्रा' शुरू कर रहे हैं। अमरकंटक से शुरू होने वाली 'नर्मदा सेवा यात्रा' के माध्यम से माँ नर्मदा को प्रदूषणमुक्त बनाने व बचाने के लिए हम सब प्राण-प्रण से प्रयास करें। 'नर्मदा सेवा यात्रा' से प्रदेश के लाखों जन जुड़ रहे हैं।
http://www.namamidevinarmade.mp.gov.in वेबसाइट पर अपना नाम दर्ज कर आप भी हमारे साथ जुड़ सकते हैं।
देश-प्रदेशवासियों से आग्रह करता हूँ कि माँ नर्मदा के संरक्षण के नर्मदा सेवा यात्रा महान कार्य में अपना योगदान दीजिये। माँ नर्मदा को बचाइये।
नर्मदा नदी केवल नदी मात्र ही नही अपितु आस्था व विश्वास का प्रतीक है, यह प्रदेशवासियों के लिए जीवनदायिनी नदी है, इसलिए इसके जल का निर्मल एवं अविरल बहते रहना अत्यंत आवश्यक है, इसका संरक्षण किया जाना जरूरी है। नर्मदा नदी का पौराणिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक महत्व होने के कारण इसके संरक्षण में सरकार के साथ-साथ संत और समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
नर्मदा नदी देश की सबसे प्राचीनतम नदियों में से है, जो कि मध्यप्रदेश में बहने वाली एक मुख्य नदी है। नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवन-रेखा भी कहा जाता है। नर्मदा नदी अनूपपुर जिले के अमरकंटक की पहाडि़यों से निकलकर छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर करीब 1310 किलोमीटर का प्रवाह पथ तय कर भरूच के आगे खंभात की खाडी में विलीन हो जाती है। मध्य प्रदेश में नर्मदा का प्रवाह क्षेत्र अमरकंटक(जिला अनूपपुर) से सोंडवा(जिला अलीराजपुर) तक 1077 किलोमीटर है, जो कि इसकी कुल लम्बाई का 82.24 प्रतिशत है। नर्मदा अपनी सहायक नदियों सहित प्रदेश के बहुत बड़े क्षेत्र के लिए सिंचाई एवं पेयजल का बारहमासी स्रोत है। नर्मदा नदी का कृषि, पर्यटन, तथा उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है, इसके तटीय क्षेत्रों में उगाई जाने वाली मुख्य फसलें धान, गन्ना, दाल, तिलहन, आलू, गेहूँ एवं कपास हैं जो प्रदेश की खाद्यान्न व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इसके तट पर ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं, जो प्रदेश की आय का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इस प्रकार नर्मदा नदी सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं धार्मिक दृष्टि से प्रदेश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वर्तमान में नर्मदा नदी से संबंधित संसाधनों के अत्यधिक उपयोग के कारण नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु प्रयास किया जाना अत्यंत आवश्यक है। नर्मदा नदी में प्रदूषण की रोकथाम, जल/नदी संरक्षण तथा नदी एवं उसके संसाधनों का समुचित उपयोग हो सके, इस हेतु जन समुदाय के सहयोग से सार्थक पहल किये जाने की आवश्यकता है। नर्मदा नदी के महत्व एवं संरक्षण की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक विशेष यात्रा के रूप में 'नमामि देवि नर्मदे' का संचालन किये जाने की योजना तैयार की गई है, जो कि मुख्य रूप से जन जागरूकता एवं जन समुदाय के सहयोग से नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रों में वानस्पतिक आच्छादन, स्वच्छता एवं साफ-सफाई, मृदा एवं जल संरक्षण तथा प्रदूषण की रोकथाम के माध्मय से नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु कार्य किये जाने पर केन्द्रित है।
नमामि देवि नर्मदे यात्रा के उद्देश्य
• नर्मदा नदी के संरक्षण एवं नदी में उपलब्धए संसाधनों एवं समुचित उपयोग हेतु जन जागरण।
• नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रों में वानस्पतिक आच्छादन बढ़ाने एवं मृदा क्षरण को रोकने हेतु वृहद स्तर पर पौधरोपण।
• नदी की पारिस्थितिकीय में सुधार हेतु गतिविधियों का चिन्हांकन एवं उनके क्रियान्वयन में स्थानीय जन समुदाय की जिम्मेदारी तय करना।
• टिकाऊ एवं पर्यावरण हितेषी कृषि पद्दतियो को अपनाने हेतु जन-जागरण।
• नदी में प्रदूषण के विभिन्न कारकों की पहचान एवं उनकी रोकथाम हेतु उपाय व जन-जागरण।
• नदी के जलभरण क्षेत्र में जल संग्रहण हेतु उपाय एवं जन-जागरूकता।
''नमामि देवि नर्मदे'' नर्मदा सेवा यात्रा का आयोजन दिनांक 11 नवम्बर 2016 से प्रस्तावित था। जिसका संशोधन किया जाकर अब यह यात्रा 11 दिसम्बर 2016 से अमरकंटक, जिला अनूपपुर से प्रांरभ होगी। यात्रा का विस्तृत संशोधित कार्यक्रम विवरण वैबसाईट पर उपलब्ध है।
यात्रा के दौरान नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु जन जागरूकता एवं आवश्यक कार्यवाही की जायेगी। यात्रा समाज को जागरूक एवं गतिशील करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी, जिससे यात्रा के अंतर्गत निर्धारित किये गये उद्देश्यों की पूर्ति की जा सकेगी। यात्रा के माध्यम से विभिन्न संस्थानों/व्यक्तियों को इस यात्रा से जुड़कर नर्मदा नदी के संरक्षण में सहयोग करने हेतु अवसर प्रदान किया जायेगा।
नर्मदा नदी के संरक्षण में सरकार की अहम भूमिका है सरकार इस संबंध में नियम व कानून बना सकती है तथा उनका कड़ाई से पालन करवाने हेतु दंड आदि की व्यवस्था कर सकती है। प्रचलित नियमों तथा कानूनों की जानकारी समाज के सभी व्यक्तियों तक पहुंचाने एवं उनका पालन करवाने में समाज एवं स्वैच्छिक संगठनों की अहम भूमिका होती है। नर्मदा नदी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व होने के कारण नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु लोगों को धार्मिक रूप से जागरूक करने में संतों एवं धार्मिक गुरूओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
नर्मदा नदी के संरक्षण में , समाज की भूमिका एवं भागीदारी से तात्पर्य है कि लोग स्वयं नर्मदा नदी के संरक्षण हेतु रणनीति का निर्धारण कर उसका क्रियान्वयन, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन आपसी सहयोग से करें, जिससे उनमें अपनत्व एवं उत्तरदायित्व की भावना विकसित हो। नर्मदा नदी के संरक्षण कार्य में समाज की भूमिका सुनिश्चित करने हेतु नदी के किनारों के कस्बों और गांवों में नर्मदा नदी संरक्षण समितियों का गठन किये जाने की आवश्यकता है, जिसमें स्थानीय धार्मिक समूह, सामाजिक-आर्थिक समूह, व्यवसायी, जननेता, शिक्षक, चिकित्सक, स्वास्थ्य सेवक और स्वंयसेवी संस्थाओं व पंचायत और नगर परिषदों आदि के सदस्य सम्मिलित हों।